moral story|aam si jubani lekin sabki kahani

 

moral story



सब लोगो को हमेशा किसी न किसी बात से शिकायत रहती है चाहै वो भगवान से हो किसी आम इंसान से हो या फिर खुद से हो मगर वो हमेशा शिकायत करता ही रहता है क्योंकि इंसान  एसा ही होता है ओर इंसानो को सबसे ज्यादा अगर अब तक शिकायत रही है तो वो है अपने नसीब के बारे में हम में से कही लोग ऐसे होंगे जिन्होंने कही बार अपने नसीब को कोस होगा तो चलिए जानते है कि नसीब का कुसूर वकिहि होता है या हमारी सोच का।



 एक बार की बात है जब एक आदमी बहोत पढ़ा लिखा अछि नोकरी करने वाला और अच्छा खासा पैसा कमाने वाला एक बस स्टैंड पर खड़ा होता है ओर इधर उधर देख रहा होता है तभी उसकी नजर एक खिलोने बेचने वाले पर पड़ती है और मन मे ही सोचता है कि के आदमी खिलौना बेचके अपना घर कैसे चलता होगा मेरी तो इतनी तंखा है फिर भी मुजे पैसो की कमी होती है ये अगर सही तरीके से business करे तो के अच्छा काम सकता है।

 तभी वो खिलोने वाला उसके पास आता है ओर वो आदमी उस खिलोने वाले को पुछता है कि तुम खिलोने बेचते हो और इतने पैसो से घर कैसे चलता है तुम्हारा और तभी उस आदमी को अपने बॉस का कॉल आता है और वो बॉस बोलता है कि जल्दी से जल्दी office पहोचो टैब वो बताता है कि में जरूरी काम से बाहर गांव आया हुआ था और जल्दी ही लौट रहा हु तभी वो बॉस बोलता है अगले 2 घंटे में तुम नही आये तो तुम्हारी नोकरी नही रहेगी और इतना बोल के वो फ़ोन काट देता है।



 ए सब सुन कर खिलोने वाला थोड़ी देर तो उस आदमी के सामने देखता रहा और बोला कि में ए खिलोने बेचके मेरा घर चल जाये उतना तो कमा ही लेता हूं और रात को चैन की नीद पूरे परिवार के साथ सो जाता हूं आप बताइए आप कितना कमाते है और आप ज़िन्दगी में क्या करना चाहते है आप को आपकी आमदनी से संतुष्तटी है क्या आप चैन से सो पाते हो ?क्या आप शांति से खाना खा सकते हो?क्या आप अपने परिवार के साथ समय बिता सख्ते हो शांति से?

     के सब सवाल सुनकर वो आदमी थोड़ी देर तो चुप ही रहा ओर बस खाली उस खिलोने वाले को देखता रहा और आंखे नम हो गयी वो खिलोने वाले के सब सवाल से इतना तो समझ ही गया था कि में कितना भी कमाता हु लेकिन इसके जैसी शांति मेरी ज़िन्दगी में नही है 

 में हर रोज सुबह उठ कर काम पर जता हु पूरा दिन काम करता हु जब शाम को घर जाता हूं तो थका हुआ और परेशान ही होता ह ओर खाना कहा के सो जाता है और अगली सुबह बस वही रों करता हु नही परिवार को टाइम दे पाता हूं और नही खुद को के सब विचार उसके दिमाग मे घूम रहे तजे तभी वो खिलौना वाला बोलै

  साहेब जी किस सोच में डूब गए ,आप पूरी ज़िंदगी कमाओगे तो ज़िन्दगी कब जीओगे अभी आप तंदुरस्त हो लेकिन आपके पास टाइम नही है और जब आप एक कोई बड़ी रकम काम लोगे तब आपके पास उस वक़्त शायद वक़्त ही नही होगा कि आप उस रकम को जो आप सोचे हो उस हिसाब से खर्च कर पाए या फिर उस हिसाब से परिवार के साथ राह पाए  ओर इतनी बात सुनकर वप आदमी एकदम ढीला पैड गया और उस खिलोने वाले को बोला,

   तुम्हारी बात बिल्कुल सही में आज ओर अभी से इतना समाज गया हूं कि ज़िन्दगी कभी plannig करके नही जी जाती जो है वो अभी का ही वक़्त है ,अब से में अपनी ज़िंदगी सही मायनों में जीऊँगा अपने साथ ओर अपने परिवार के साथ क्या पता काल को में राहु या न रह ???

तो दोस्तो कहना का मर्म सिर्फ इतना है कि आप कितना कामा रहे हो वो मायने नही रखता आप कितना जी रहे हो वो मायने रखता है फिर चाहे आप 3 वक़्त के खाना खाने जितना क्यों न कमाते हो पैसा कमाना जरूरी है लेकिन जरूरत हो उतना उससे ज्यादा जरूरी है अपने ओर अपनो के साथ खुलके जीना।

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