importance of emotions | इमोशन का महत्त्व
emotions कैसे उत्पन्न होते हैं सपष्ट सब्द मैं कहे तो एक emotions उतेजना द्वारा उद्भव हुआ विचार है , उत्तेजना कैसे भी हो सकती है डर की प्यार की आदि, आप अपने शरीर में सुई चुभा ते है तो आपको दर्द होता है जब भी कोई आपकी प्रशंसा करता है तो आपको खुशी मिलती है जब भी वो आपका फोन करता है तो आपको गुस्सा आता है सभी अपने emotions ज्ञानेंद्रिय के द्वारा ही उत्पन्न होते हैं और इनमें से सबसे ज्यादा हम आनंद के मोशन द्वारा ही अपने जीवन में काम करते हैं।
ज्यादातर लोगों के इमोशंस अपने समाज के विचारों के साथ जुड़े होते हैं और उनकी परंपराओं के साथ जुड़े होते हैं। इमोशन धार्मिक होते हैं कुछ emotions स्वाभाविक होते है और कुछ इमोशन काल्पनिक होते हैं
emotions हमेशा उत्तेजना द्वारा ही अस्तित्व में आते हैं और अपने आसपास की परिस्थिति द्वारा भी अस्तित्व में आते हैं । जीवन में इमोशंस की क्या भूमिका है? क्या इमोशन जीवन है? क्या मौज मस्ती प्रेम है? क्या इच्छा प्रेम है अगर इमोशन प्रेम हो तो वहीं कहीं वह हर वक्त बदलता रहता है । कहने का अर्थ यह है कि हमको सभी इमोशंस को बारीकी से समझ ना होता है कौन सा इमोशन किस हिसाब से अपने माइंड में आया है उसका क्या रिएक्शन होगा यह सब पहले हमें शांति से सोचना पड़ेगा ।
भावनाओ डायरेक्टर संबंध अपने विचारों से ही होता है और इसीलिए हमें सुख और दुख की भावना का एहसास होता है।emotion को काबू में रखने के लिए हमे अपनी आस पास की situation को बारीकी से समजना होता है।क्योंकि हर emotion क्षणिक ही होता है वो depand करता है कि जो emotion आया है वो किस परिस्थितियों से आया है, example के तौर पर मान लीजिए कि आप एग्जाम में अच्छे नम्बरों से पास जो गए तो वो खुशी 3 से 4 दिन रहेगी ओर अगर मान लीजिए कि किसीने आप की तारीफ की तो वो ख़ुशी minute भर रहेगी। इमोशन हमारे अंदर है चाहे वो खुशी हो गम हो या फिर गुस्सा हो पर प्रतिक्रिया हमेशा परिस्थिति देख कर ही देनी चाहिए । क्या पता आपका वो इमोशन किसी का ओर इमोशन बन जाये।
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